भाव गंगा जैसाकि पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है कि मन के सहज-सरल भावों के धरातल पर, सभी के मन को टटोलती हुई इस पुस्तक में लेखिका की प्रत्येक रचना या कविता ने समाज के प्रत्येक वर्ग को एक संदेश देने की निश्चल कोशिश की हैं। समाज में फैले हर अच्छे व बुरे विषय पर प्रकाश डालते हुए, हर विषय की पराकाष्ठा पर पहुंचकर फिर सरल शब्दों में उसके निष्कर्ष की अभिव्यक्ति की है । शायद उनकी कविताएं उनकी समाज के प्रति संवेदनशीलता का स्वच्छ दर्पण है। प्रत्येक वर्ग की पठनीयता को ध्यान में रखते हुए पुस्तक में कविताओं की भाषा शैली को बहुत ही सहज व स्वाभाविक रखा गया है।
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